Hot Posts

99/recent/ticker-posts

मांग की लोच का अर्थ, परिभाषा, महत्त्व , कारक, तत्वों सहित व्‍याख्‍या





mang ki loch ke prakar

mang ki loch kya hai

mang ki loch ki vyakhya kijiye




मांग की लोच का अर्थ / mang ki loch ka mahatva

अर्थशास्‍त्र में वस्‍तु की कीमत में होने वाले परिवर्तन के परिणामस्‍वरूप उस वस्‍तु की मॉग में जिस मात्रा में या गति में परिवर्तन होता है । उसे ही मॉग की लोच कहते है । इस प्रकार मॉग में लोच मॉग एवं कीमत की संबंध को स्‍पष्‍ट करती है ।       

माँग की लोच की परिभाषा बताइए/ mang ki loch ki paribhasha

प्रोफेसर मार्शल के अनुसार -बाजार में मॉग की लोच का कम या अधिक होना इस बात पर निर्भर करता है कि एक निशिचत मात्रा में कीमत के घट जाने पर मॉंग की मात्रा अधिक वृृद्धि होती है । अगर वस्‍तु की कीमत बढ़ जाने पर वस्‍तु की मॉग में की होती है । 
   

प्रोफेसर केयरनक्रास के अनुसार - किसी वस्‍तु की मॉंग की लोच वह दर है जिस पर खरीदी जाने वाली मात्रा की कीमत परिवर्तनों के परिणामस्‍वरूप में बदलती है ।  

मांग की लोच के क्या महत्त्व है / mang ki loch ka mahatva

 1)मूल्‍य के निर्धारण करने में महत्‍व - मॉंग की लोच अधिक होने पर वस्‍तु की मूल्‍य को नीचे रखा जाता है अगर वस्‍तु की मूल्‍य को उचा रखने पर वस्‍तु की मॉग बढ जाती है और ठीक इसके उल्‍टा बेलोचदार वस्‍तुओ को मूल्‍य उचा रखा जाता है । जैसे पूर्ण प्रतियोगिता, एकाधिकार, एकाधिकृृत प्रतियोगिता आदि में वस्‍तु की मूल्‍य निर्धारण करने में सहायता प्रदान करती है / 

2) वितरण के सिद्धांत में महत्‍व - मॉंग की लोच का विचार उत्‍पादन के विभिन्‍न साधनों का पुरस्‍कार निर्धारित करने में सहायक होता है जैसे कि उत्‍पादन कर्ता उन साधनों को अधिक पुरस्‍कार देता है जो साधन अधिक बेलोच होते है  तथा उन साधनो  को कम पुरस्‍कार देता है जिनकी  मॉग उनके लिए लोचदार होती हैै।  

3) सरकार के महत्‍व - ऐसी वस्‍तुओ की मॉंग की लोच बेलोचदार होती है तो उन वस्‍तुओं पर कर की दर उची रखी जाती है क्‍योंकि उची दर लगाने पर भी वस्‍तु की मॉंग में कोई परिवर्तन नहीं होता है और उसी मॉग पूर्व तरीके से रहती है । ठीक इसके उल्‍टा कर दे जिन वस्‍तुओ की मॉंग की लोच अधिक लोचदार होती है उन वस्‍तुओं पर कर की दर कम रखी जाती है क्‍योंकि  ऐसी वस्‍तुओ की मॉंग में परिवर्तन होने लगता है । इसलिए कर निर्धारण में मॉंग की लोच की धारणा सरकार के लिए अत्‍यन्‍त महत्‍वपूर्ण होती है । 

अंतरराष्ट्रीय व्यापार में महत्व  - अंतरराष्ट्रीय व्यापार के अंतर्गत देश में व्यापार का लाभ उस देश की व्यापार की शर्तों को निर्धारित करता है और व्यापार के साथ दोनों देशों में आयात और निर्यात  की मांग एवं पूर्ति की लोच पर निर्भर करती है उदाहरण यदि किसी देश की निर्यात वस्तुओं की मां ब्लाउज दार है तो उस वस्तु की कीमतों को ऊंची दामों में बेच सकेगा इसी प्रकार आयात के वस्तुओं में यदि उस वस्तु की मांग रोजदार है तो उस वस्तु की कीमत ऊंची दर पर देना पड़ेगा।

यातायात में उद्योग में महत्व - यातायात उद्योग में भाड़े की दरें निर्धारित करने में मां किलोज में सहायक होता है जिन वस्तुओं की यातायात में माग बेलोचदार होती है तो ऐसे भाड़ों की दर ऊंची रखी जाती है तथा जिनकी मां लोचदार होती है उनकी दरें नीचे रखी जाती है।


मांग की लोच को प्रभावित करने वाले कारक लिखिए, माँग की लोच को प्रभावित करने वाले विभिन्न तत्वों की व्याख्या कीजिए,

mang ki loch ko prabhavit karne wale karkon ki vyakhya

mang ki loch ko prabhavit karne wale karak

1) वस्तु की प्रकृति - किसी वस्तु की माग की लोच बहुत कुछ उसकी प्रकृति पर निर्भर करती है कुछ ऐसी अनिवार्य वस्तु है जिनकी मांग की लोच बेलोचदार होती है क्योंकि उन वस्तु को क्रय करना उपभोक्ता के लिए अनिवार्य होता है विलासिता की वस्तुओं की मांग अत्यधिक लोचदार व आरामदायक वस्तुओं की मांग साधारण लोचदार होती है।

वस्तुओं के क्रेता का वर्ग - वस्तुओं की मांग क्रेता के वर्ग पर भी निर्भर रहती है यदि कोई ऐसी वस्तु है जिन का उपभोग केवल धनी व्यक्ति ही कर सकते हैं तो उन वस्तुओं की मांग लाेच बेलोच होगी तो वस्तुओं के मूल्य में परिवर्तन होने पर भी विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है यदि किसी निम्न वर्ग का उपभोग करता है तो उन वस्तुओं की मांग की लोच अधिक लोचदार होगी तो कीमत में परिवर्तन होने पर उनकी माग में बहुत अधिक परिवर्तन हो जाता है।

स्थानापन्न वस्तुओं की मां लोचदार होती है - ऐसी वस्तुएं जिनकी मौत उनके स्थान पर अपेक्षाकृत सस्ती वस्तुओं का उपयोग किया जा सकता है तो अधिक लोचदार होती हैं। जैसे एक ही मूल्य पर बहुत सारे कपड़े धोने के साबुन मिल जाते हैं लेकिन किसी एक साबुन का मूल्य अधिक हो जाने पर उसके स्थान पर दूसरी साबुन का उपयोग करने लगते हैं जिससे पहले उपयोग करने वाले साबुन की मांग घट जाती है।

वस्तुओं का मूल्य - मांग कि लोच वस्तु के मूल्य पर निर्भर करती है ऐसी वस्तुएं जिनका मूल्य अधिक होता है उनकी माग कम लोचदार होती है और जिन वस्तुओं की कीमत कम होती है उन वस्तुओं की मांग कम लोचदार या बेलोचदार होते हैं। जिन वस्तुओं का मूल्य ना अधिक हो ना बहुत कम है उनकी मांग प्राय: लोचदार होती है।

समाज में धन के वितरण का स्वरूप - जब समाज में धन का वितरण सामान होता है तो सभी व्यक्तियों की खरीदने की शक्ति समान रहती है अतः मूल परिवर्तन होने पर भी वस्तु की मांग पर कोई परिवर्तन नहीं होता है ऐसी अवस्था में कुछ व्यक्ति अधिक खरीदते हैं और कुछ कम अतः मूल्य का परिवर्तन से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

मांग की आड़ी लोच का सूत्र, मांग की आड़ी लोच का विचार किसने दिया, मांग की आड़ी लोच किसे कहते हैं, मांग की कीमत लोच से आप क्‍या समझते है,

मांग की कीमत लोच से आप क्‍या समझते है, / mang ki kimat loch ka arth likhiye

मॉंग की कीमत लोच वस्‍तु की कीमत में परिर्वन के फलस्‍वरूप वस्‍तु की मॉग मात्रा में होने वाले परिवर्तन की अर्थात यह कीमत में थोडे परिवर्तन के प्रयुक्‍त माप  की मात्रा में होने वाले परिवर्तन का माप को प्रस्‍तुत करता है । 

मांग की आड़ी लोच किसे कहते हैं / mang ki aadi loch kise kahate hain

मांग की लोच को ऐसी स्थिति पर लागू किया जात है जहा पर दो वस्‍तुओं के कुछ गुण एक दूसरे से मिलते है या कि उन वस्‍तुओं के बीच संबंध हो या पूरक हो अथवा स्‍वतंत्र हो । तो उनकी मॉंग में प्रतिस्‍पर्द्धापूर्ण होता है । अगर ऐसी वस्‍तुओं किसी एक वस्‍तु की मूल्‍य में वृद्धि होती है तो दूसरे वस्‍तु की माँँग बढ जाती है तो उसे इस तरह की मॉग की आडी लोच कहते है ।  

मांग की आड़ी लोच का सूत्र

               ▲qx = X  वस्‍तु की मॉगी गयी मात्रा में आनुपातिक परिवर्तन 
                  ▲py = Y वस्‍तु के मूल्‍य में आनुपातिक परिवर्तन 
                    Q1x = X की प्रारम्भिक मॉग 
                    Q2x = X की दूसरी मॉंग 
                    P1y = Y  का प्रारम्भिक मूल्‍य
                    P2y = Y का बाद वाला मूल्‍य
                   qx = X  वस्‍त की प्रारम्भिक मूल्‍य
                    py = Y वस्‍तु की प्रारम्भिक मूल्‍य 
                  Ec =  मॉंग की आडी लोच


मांग की आय लोच क्या है मॉंग की आय लोच का सूत्र

मॉंग की आय लोच - आय की लोच का शाब्दिक अर्थ है कि आय में परिवर्तन होने पर वस्‍तु की माँँगमें क‍िस अनुपात में परिवर्तन होंगें । सरल शब्‍दों में आय तथा मॉंग के प्रतिशत परिवर्तनों के अनुपात को ही आय लोच कहते है ।
प्रो. वाटसन के अनुसार  अन्‍य निर्धारको के स्थिर  रहने पर  आय में परिवर्तन के कारण मॉग में परिवर्तन दर को माॅॅग की लोच कहते है । 

मॉंग की आय लोच का सूत्र

  


    Ei =  मॉंग की आय लोच 
Q =  मॉंग में परिवर्तन 
    Q =  आरम्भिक मॉग की मात्रा
    Y =  प्रारम्भिक आय
Y =  आय में परिवर्तन