mang ki loch ke prakar
mang ki loch kya hai
mang ki loch ki vyakhya kijiye
मांग की लोच का अर्थ / mang ki loch ka mahatva
माँग की लोच की परिभाषा बताइए/ mang ki loch ki paribhasha
प्रोफेसर केयरनक्रास के अनुसार - किसी वस्तु की मॉंग की लोच वह दर है जिस पर खरीदी जाने वाली मात्रा की कीमत परिवर्तनों के परिणामस्वरूप में बदलती है ।
मांग की लोच के क्या महत्त्व है / mang ki loch ka mahatva
1)मूल्य के निर्धारण करने में महत्व - मॉंग की लोच अधिक होने पर वस्तु की मूल्य को नीचे रखा जाता है अगर वस्तु की मूल्य को उचा रखने पर वस्तु की मॉग बढ जाती है और ठीक इसके उल्टा बेलोचदार वस्तुओ को मूल्य उचा रखा जाता है । जैसे पूर्ण प्रतियोगिता, एकाधिकार, एकाधिकृृत प्रतियोगिता आदि में वस्तु की मूल्य निर्धारण करने में सहायता प्रदान करती है /
2) वितरण के सिद्धांत में महत्व - मॉंग की लोच का विचार उत्पादन के विभिन्न साधनों का पुरस्कार निर्धारित करने में सहायक होता है जैसे कि उत्पादन कर्ता उन साधनों को अधिक पुरस्कार देता है जो साधन अधिक बेलोच होते है तथा उन साधनो को कम पुरस्कार देता है जिनकी मॉग उनके लिए लोचदार होती हैै।
3) सरकार के महत्व - ऐसी वस्तुओ की मॉंग की लोच बेलोचदार होती है तो उन वस्तुओं पर कर की दर उची रखी जाती है क्योंकि उची दर लगाने पर भी वस्तु की मॉंग में कोई परिवर्तन नहीं होता है और उसी मॉग पूर्व तरीके से रहती है । ठीक इसके उल्टा कर दे जिन वस्तुओ की मॉंग की लोच अधिक लोचदार होती है उन वस्तुओं पर कर की दर कम रखी जाती है क्योंकि ऐसी वस्तुओ की मॉंग में परिवर्तन होने लगता है । इसलिए कर निर्धारण में मॉंग की लोच की धारणा सरकार के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है ।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार में महत्व - अंतरराष्ट्रीय व्यापार के अंतर्गत देश में व्यापार का लाभ उस देश की व्यापार की शर्तों को निर्धारित करता है और व्यापार के साथ दोनों देशों में आयात और निर्यात की मांग एवं पूर्ति की लोच पर निर्भर करती है उदाहरण यदि किसी देश की निर्यात वस्तुओं की मां ब्लाउज दार है तो उस वस्तु की कीमतों को ऊंची दामों में बेच सकेगा इसी प्रकार आयात के वस्तुओं में यदि उस वस्तु की मांग रोजदार है तो उस वस्तु की कीमत ऊंची दर पर देना पड़ेगा।
यातायात में उद्योग में महत्व - यातायात उद्योग में भाड़े की दरें निर्धारित करने में मां किलोज में सहायक होता है जिन वस्तुओं की यातायात में माग बेलोचदार होती है तो ऐसे भाड़ों की दर ऊंची रखी जाती है तथा जिनकी मां लोचदार होती है उनकी दरें नीचे रखी जाती है।
मांग की लोच को प्रभावित करने वाले कारक लिखिए, माँग की लोच को प्रभावित करने वाले विभिन्न तत्वों की व्याख्या कीजिए,
mang ki loch ko prabhavit karne wale karkon ki vyakhya
mang ki loch ko prabhavit karne wale karak
1) वस्तु की प्रकृति - किसी वस्तु की माग की लोच बहुत कुछ उसकी प्रकृति पर निर्भर करती है कुछ ऐसी अनिवार्य वस्तु है जिनकी मांग की लोच बेलोचदार होती है क्योंकि उन वस्तु को क्रय करना उपभोक्ता के लिए अनिवार्य होता है विलासिता की वस्तुओं की मांग अत्यधिक लोचदार व आरामदायक वस्तुओं की मांग साधारण लोचदार होती है।
वस्तुओं के क्रेता का वर्ग - वस्तुओं की मांग क्रेता के वर्ग पर भी निर्भर रहती है यदि कोई ऐसी वस्तु है जिन का उपभोग केवल धनी व्यक्ति ही कर सकते हैं तो उन वस्तुओं की मांग लाेच बेलोच होगी तो वस्तुओं के मूल्य में परिवर्तन होने पर भी विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है यदि किसी निम्न वर्ग का उपभोग करता है तो उन वस्तुओं की मांग की लोच अधिक लोचदार होगी तो कीमत में परिवर्तन होने पर उनकी माग में बहुत अधिक परिवर्तन हो जाता है।
स्थानापन्न वस्तुओं की मां लोचदार होती है - ऐसी वस्तुएं जिनकी मौत उनके स्थान पर अपेक्षाकृत सस्ती वस्तुओं का उपयोग किया जा सकता है तो अधिक लोचदार होती हैं। जैसे एक ही मूल्य पर बहुत सारे कपड़े धोने के साबुन मिल जाते हैं लेकिन किसी एक साबुन का मूल्य अधिक हो जाने पर उसके स्थान पर दूसरी साबुन का उपयोग करने लगते हैं जिससे पहले उपयोग करने वाले साबुन की मांग घट जाती है।
वस्तुओं का मूल्य - मांग कि लोच वस्तु के मूल्य पर निर्भर करती है ऐसी वस्तुएं जिनका मूल्य अधिक होता है उनकी माग कम लोचदार होती है और जिन वस्तुओं की कीमत कम होती है उन वस्तुओं की मांग कम लोचदार या बेलोचदार होते हैं। जिन वस्तुओं का मूल्य ना अधिक हो ना बहुत कम है उनकी मांग प्राय: लोचदार होती है।
समाज में धन के वितरण का स्वरूप - जब समाज में धन का वितरण सामान होता है तो सभी व्यक्तियों की खरीदने की शक्ति समान रहती है अतः मूल परिवर्तन होने पर भी वस्तु की मांग पर कोई परिवर्तन नहीं होता है ऐसी अवस्था में कुछ व्यक्ति अधिक खरीदते हैं और कुछ कम अतः मूल्य का परिवर्तन से कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।